उत्तराखण्ड
बारिश के दौरान गिरने वाली आकाशीय बिजली से होने वाले नुकसान को अब किया जा सकेगा कम
उत्तराखंड प्रदेश में बारिश के दौरान गिरने वाली बिजली से होने वाले नुकसान को अब कम किया जा सकेगा। इसके लिए अब राज्य में लाइटनिंग डिटेक्शन व अरेस्टर (तड़ित निरोधक) का एक नेटवर्क तैयार किया जाएगा। ये अरेस्टर एक निश्चित दायरे में गिरने वाली बिजली को अपने भीतर समाहित करके उसे सुरक्षित रूप से धरती में भेज देंगे।इस संबंध में उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और क्लाइमेट रेजिलिएंट ओब्जर्विंग सिस्टम प्रमोशन काउंसिल (सीआरओपीसी) के मध्य शुक्रवार को सचिवालय में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा और सीआरओपीसी के चेयरमैन संजय श्रीवास्तव ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
आकाशीय बिजली भी आपदा का बड़ा रूप लेती जा रही
एमओयू के बाद अब यूएसडीएमए और सीआरओपीसी के बीच सहयोग का नया अध्याय शुरू होगा। विशेष रूप से राज्य में बिजली गिरने की पूर्व चेतावनी तंत्र को मजबूत करने के संबंध में इससे सहायता मिलेगी। एमओयू के तहत उत्तराखंड में बिजली गिरने के हॉट स्पॉट के माइक्रो-जोनेशन, बिजली के कंडक्टर और अवरोधकों की स्थापना के लिए उपयुक्त स्थानों की पहचान की जाएगी।
इसके साथ ही लोगों और जानवरों के लिए सुरक्षित आश्रयों का निर्माण किया जाएगा। प्रशिक्षण और जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना इस समझौता ज्ञापन के मुख्य सहयोग के बिंदु हैं। सचिव आपदा प्रबंधन विभाग डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि बीते कुछ समय में राज्य में बिजली गिरने से होने वाले हादसों की संख्या बढ़ी है।बताया, जिस प्रकार मौसम में बदलाव आ रहा, उसमें आकाशीय बिजली भी आपदा का बड़ा रूप लेती जा रही है। प्रदेश में अब बिजली के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों को चिह्नित किया जाएगा। इनमें सुरक्षा के लिए लाइटनिंग अरेस्टर स्थापित किए जाएंगे।
ऐसे काम करेगा लाइटनिंग डिटेक्शन व अरेस्टर
आकाश में धनात्मक और ऋणात्मक रूप से चार्ज बादलों के परस्पर टकराने से घर्षण पैदा होता है। तब हाईवोल्टेज की बिजली बन जाती है। दोनों प्रकार के बादलों के बीच हवा में बिजली प्रवाहित होने लगती है। इससे आवाज और तेज रोशनी पैदा होती है। कई बार यह बिजली धरती की ओर आती है। हाईवोल्टेज बिजली होने से काफी नुकसान होता है। लाइटनिंग अरेस्टर आकाश से गिरने वाली बिजली को अपनी आकर्षित कर अपने भीतर समाते हुए धरती के भीतर भेज देता है।
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