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धारचूला और मुनस्यारी तहसील के पांच हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर बसे गांवों को (जायका) के सहयोग से व्यावसायिक फल और फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने की तैयारी।

उत्तराखण्ड

धारचूला और मुनस्यारी तहसील के पांच हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर बसे गांवों को (जायका) के सहयोग से व्यावसायिक फल और फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने की तैयारी।

पिथौरागढ़– उत्तराखंड में चीन से लगी सीमा पर बसे भारतीय गांवों में जापान इंटरनेशनल को आपरेशन एजेंसी (जायका) के सहयोग से व्यावसायिक फल और फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में काम हो रहा है। इसके लिए प्रारम्भिक सर्वे का कार्य शुरू हो गया।

उत्पादन को बढ़ाने के लिए ग्रामीणों को प्रशिक्षण के साथ ही उत्पादन बेचने के लिए बाजार का इंतजाम भी जायका परियोजना के तहत होगा।उत्तराखंड की वन पंचायतों को आर्थिक रू प से समृद्ध बनाने के लिए वन विभाग के सहयोग से जायका परियोजना चल रही है।

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अब इस योजना का विस्तार करते हुए औद्योनिकी को भी इसमें शामिल कर लिया गया है। परियोजना के लिए चीन सीमा से लगी भारत की धारचूला और मुनस्यारी तहसील के पांच हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर बसे गांवों को चुना गया गया है। इन गांवों में सिकुड़ रहे सेब, माल्टा और लहसुन के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। परियोजना के तहत ग्रामीणों को उत्पादन के लिए नवीनतम प्रशिक्षण उद्यान विशेषज्ञ देंगे।

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ग्रामीणों को पौध, बीज उपलब्ध कराने के साथ ही उत्पादन के लिए बाजार का इंतजाम भी परियोजना के तहत ही होगा। इसके लिए राज्य भर में आउटलेट भी स्थापित किए जाएंगे। उत्पादन को बढ़ाने में उद्यान विभाग मदद देगा।परियोजना के तहत बेस लाइन सर्वे का कार्य शुरू हो गया है। इसके लिए अलग-अलग यूनिटें बनाई गई हैं। सर्वे का कार्य पूरा होने के बाद प्रशिक्षण शुरू होंगे।

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जापान से मिल रही इस मदद से हिमालयी गांवों की तकदीर बदलने की उम्मीद है। जिला उद्यान अधिकारी, पिथौरागढ़ आरएस वर्मा का कहना है कि जायका परियोजना अब उद्यान विभाग में भी चलाई जा रही है। हिमालयी गांवों में सेब, माल्टा, लहसुन और हल्दी को बढ़ावा दिया जाएगा। प्रशिक्षण के साथ ही किसानों को व्यावसायिक रू प से भी दक्ष बनाया जाएगा।

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