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भारत और नेपाल के बीच कालापानी के बाद क्या है नया विवाद
नेपाल में जनगणना जारी है लेकिन दार्चुला क्षेत्र के दो गांव में अब तक जनगणना टीम के लोग नहीं पहुंचे हैं। तिंकर और छंगरू गांव का नेपाल से कोई सीधा संपर्क नहीं है। यहां पहुंचने के लिए भारत होते हुए यात्रा करनी होती है। नेपाल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जनगणना टीम के लोगों को भारत के स्थानीय अधिकारियों से एंट्री पास की जरूरत है जो कि अब तक नहीं दी गई है।
नेपाली दार्चुला जिले की प्रमुख ज्योत्सना भट्ट जोशी ने बताया है हमने 11 नवंबर को भारत भारत के पिथौरागढ़ के दार्चुला में उप-विभागीय मजिस्ट्रेट कार्यालय को नेपाली जनगणना कर्मचारियों को प्रवेश पास प्रदान करने के लिए एक अनुरोध भेजा था ताकि वे तिनकर और छागरू की यात्रा कर सकें। लेकिन अब तक उन अधिकारियों को पास नहीं दिया गया है।
नेपाल में 11 नवंबर से शुरू हुई जनगणना 25 नवंबर को खत्म होनी है लेकिन अब तक नेपाली अधिकारियों को पास नहीं दिया गया है। नेपाली मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पास देने में भारतीय पक्ष की बहुत देरी की जा रही है।हालांकि नेपाल के सेंट्रल ब्यूरो ऑफ स्टेटिक्स के सीनियर अधिकारी का मानना है कि इसमें कोई परेशान होने वाली बात नहीं है। मुझे यकीन है कि भारत जल्द ही पास जारी कर देगा क्योंकि तिनकर और छंगरू ऐसे क्षेत्र नहीं हैं जिन पर भारत अपना दावा करता है जैसे कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को लेकर है।
नेपाली का कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा में जनगणना कराने की संभावना कम है। भारत का कहना है कि कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा क्षेत्र भारत का हिस्सा है। चूंकि कालापानी क्षेत्र पूरी तरह से भारत के प्रशासनिक और सैन्य नियंत्रण में है। ऐसे में नेपाली अधिकारियों के मुताबिक भारत की अनुमति के बिना वहां जनगणना करना असंभव है। नेपाल सैटेलाइट इमेजरी का इस्तेमाल कर इस क्षेत्र में घरों की संख्या की गिनती और उसके आधार पर लोगों की संख्या का अनुमान लगाने के प्लान पर काम कर रहे हैं।