उत्तराखण्ड
उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव राकेश शर्मा के पुत्र चैतन्य, हिमांचल में गंगरेट से कांग्रेस के उम्मीदवार, क्या पूरा करेंगे पिता का सपना?
उत्तराखंड में बेहद दमदार नौकरशाह की प्रतिष्ठा रखने वाले तथा रिटायरमेंट के बाद विधानसभा चुनाव लड़ने की ख़्वाहिश भर से BJP-Congress की हवा खराब कर चुके Ex Chief Secretary राकेश शर्मा का ख्वाब पूरा करने के लिए उनके पुत्र चैतन्य शर्मा हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में उतरे हुए हैं। वह Congress के टिकट पर गगरेट सीट से जबर्दस्त ढंग से चुनाव लड़ रहे हैं।
राकेश ऐसे नौकरशाह रहे जो कुछ भी करें या फिर कोई भी महकमा संभाले, छा जाते थे। CM बनने पर BC खंडूड़ी ने उनको पैदल करने के लिए तकनीकी शिक्षा और प्रशिक्षण विभाग सौंपे थे, लेकिन ये राकेश का ही दम था कि चवन्नी का State बजट न होने वाले ये महकमे 6-7 महीनों में ही मलाईदार माने जाने लगे थे।
जब राकेश पर्यटन और खेल विभाग में भेजे गए तो दोनों विभाग मलाईदार हो गए। उनके हुनर को देख के ही BCK ने दूसरी बार CM बनने पर न सिर्फ उनको खनन-नागरिक उड्डयन-MD-सिडकुल-उद्योग के प्रमुख सचिव बनाए गए बल्कि उनके सबसे खासमखास भी हो गए। सरकार बदली और पहले विजय बहुगुणा फिर हरीश रावत Congress सरकार के CM बने तो वह दोनों के ही सबसे करीबी और विश्वासपात्र होने के साथ ही सत्ता की चाबी भी संभाली थी।
हरीश ने उनको अपना प्रमुख मुख्य सचिव भी बनाया था। IAS लॉबी ने इस Ex Cadre पोस्ट का विरोध किया और इस कदर लॉबिंग की कि उनको सेवा विस्तार देने के हरीश सरकार के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने ठुकरा दिया था। राकेश की कोशिश थी कि BJP या काँग्रेस टिकट पर किच्छा से चुनाव लड़ें। दोनों दलों से उनको टिकट नहीं मिला। फिर किच्छा से हरीश लड़ने लगे तो उन्होंने उनके खिलाफ चुनाव ही लड़ने का इरादा त्याग दिया।
उन्होंने अपने मूल राज्य हिमाचल प्रदेश में बेटे को जिला पंचायत सदस्य चुनाव जितवा के सियासी जिंदगी में परोक्ष तौर पर प्रवेश किया। चैतन्य ने निर्दलीय के तौर पर पिता की छत्र छाया में चुनाव लड़ा। फिर BJP-Congress के प्रत्याशियों की जमानत जब्त करा के विजय पाई। राकेश की इच्छा बेटे को BJP से विधानसभा चुनाव लड़ाने की थी। वहाँ से टिकट नहीं मिला। इस पर बेटे को उन्होंने Congress के टिकट से गगरेट सीट पर उतार दिया।
माना जा रहा है कि सर्वे में 27 साल के अमेरिका से पढ़े युवा चैतन्य की रिपोर्ट बहुत अच्छी आ रही हैं। 12 नवंबर को मतदान है। 8 दिसंबर को मतगणना के बाद तय होगा कि पिता की उम्मीदों पर पुत्र कितना खरा उतरा। चुनाव भले हिमाचल में हो रहे लेकिन उत्तराखंड में ऐसे लोगों की तादाद बहुत है जो इस चुनाव के नतीजों में ख़ासी दिलचस्पी रख रहे हैं। ये भी माना जा रहा है की बेटे को आगे कर के राकेश ही चुनाव लड़ रहे हैं।