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प्रधानमंत्री मोदी उत्तराखंड के कुमाऊँ अंचल में, 17,500 करोड़ रुपये की 23 वविकास योजनाओं का किया लोकार्पण और शिलान्यास।

उत्तराखण्ड

प्रधानमंत्री मोदी उत्तराखंड के कुमाऊँ अंचल में, 17,500 करोड़ रुपये की 23 वविकास योजनाओं का किया लोकार्पण और शिलान्यास।

हल्द्वानी– पहाडों में मौसम बेहद सर्द बना हुआ है इसी बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के हल्द्वानी में 17,500 करोड़ रुपये की 23 विभिन्न विकास योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। 23 परियोजनाओं में से 14,100 करोड़ रुपये की 17 परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया। ये परियोजनाएं सिंचाई, सड़क, आवासीय स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर, उद्योग, स्वच्छता, पेयजल आपूर्ति सहित कई सेक्टर से संबंधित हैं। 

इन सभी योजनाओं में से 5750 करोड़ रुपये की लखवाड़ बहुउद्देश्यीय परियोजना सबसे महत्वपूर्ण योजना है। लखवाड़ जल विद्युत परियोजना का ख्वाब 45 साल बाद जाकर पूरा होगा। इस योजना से उत्तराखंड, दिल्ली सहित छह राज्यों को फायदा पहुंचेगा। हल्द्वानी में गुरुवार को आयोजित चुनावी सभा में छह अन्य परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया है जिसमें सड़क चौड़ीकरण परियोजनाएं, पिथौरागढ़ में एक पनबिजली परियोजना और नैनीताल में सीवरेज नेटवर्क में सुधार से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं। इन परियोजनाओं की कुल लागत 3,400 करोड़ रुपये है।

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प्रधानमंत्री ने किए शिलान्यास-लोकार्पण
5750 करोड़ रुपये की लखवाड़ बहुउद्देश्यीय परियोजना का शिलान्यास 
8,700 करोड़ रुपये की सड़क क्षेत्र की परियोजनाओं का शुभारंभ और शिलान्यास होगा, कैलास मानसरोवर यात्रा भी होगी सरल
यूएसनगर में एम्स ऋषिकेश सेटेलाइट सेंटर और पिथौरागढ़ में जगजीवन राम गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास 
काशीपुर में अरोमा पार्क, सितारगंज में प्लास्टिक इंडस्ट्रियल पार्क का शिलान्यास
राज्य की विभिन्न आवासीय, स्वच्छता व पेयजल आपूर्ति से जुड़ी परियोजनाओं का करेंगे शिलान्यास उत्तराखंड में बनने वाली तीन सौ मेगावाट की लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना की कुल लागत का 90 प्रतिशत केंद्र सरकार खुद वहन करेीगी। इस योजना से उत्तराखंड को बिजली और देश के अन्य राज्यों को पानी मिलेगा। लखवाड़ जल विद्युत परियोजना का ख्वाब 45 साल बाद जाकर पूरा होगा। वर्ष 1976 में पहली बार योजना आयोग ने प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी।  वर्ष 1987 में प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ, लेकिन चार साल बाद ही 1992 में ही काम रोक दिया गया था। वर्ष 2017 में दोबारा काम शुरू करने की तैयारी हुई, तो एनजीटी ने रोक लगा दी।  नए सिरे से पर्यावरणीय आंकलन के बाद अब जाकर प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल पाई है। प्रोजेक्ट का 30 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। डैम की स्टेपिंग के साथ ही अंदरूनी सड़कें बनी हुई हैं। इस प्रोजेक्ट में 780 हेक्टेयर वन भूमि पहले ही हस्तांतरित हो चुकी है।  105 हेक्टेयर नापभूमि का अधिग्रहण होने करने के साथ मुआवजा दे दिया गया है। अब सिर्फ इस भूमि पर बसे 850 परिवारों को अनुग्रह राशि बांटी जानी है। जो राज्य सरकार 75 लाख प्रति हेक्टेयर तय कर चुकी है। अब सिर्फ 50 हेक्टेयर भूमि का और अधिग्रहण किया जाना है। 

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छह राज्यों को होना है लाभइस प्रोजेक्ट से उत्तराखंड के साथ ही हिमाचल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा को पानी मिलेगा। इन सभी राज्यों के मुख्यमंत्री परियोजना को लेकर समझौते को अंतिम मंजूरी दे चुके हैं। केंद्र की ओर से वित्तीय मंजूरी मिल जाने के बाद अब काम जल्द शुरू हो जाएगा।

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 लखवाड़ प्रोजेक्ट पर नजर लखवाड़ परियोजना के तहत उत्तराखंड देहरादून जिले के लोहारी गांव के पास यमुना नदी पर 204 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनेगा। बांध की जल संग्रहण क्षमता 330.66 एमसीएम होगी। इससे 33,780 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। इसके साथ ही इससे यमुना बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों में घरेलू तथा औद्योगिक इस्तेमाल और पीने के लिए 78.83 एमसीएम पानी उपलब्ध होगा। प्रोजेक्ट के तहत संग्रहित जल का बंटवारा यमुना के बेसिन क्षेत्र वाले छह राज्यों के बीच 12 मई 1994 को किये गये समझौते के अनुरूप होगा।

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