उत्तराखण्ड
वन्यजीवों के हमलों से मानव, पशु, भवन व फसल क्षति मुवावजा राशि मे बृद्धि
वन्यजीवों के हमलों से जूझ रहे उत्तराखंड में मानव, पशु, भवन व फसल क्षति के मामलों में मुआवजा राशि में वृद्धि कर दी गई है। प्रमुख सचिव वन रमेश कुमार सुधांशु की ओर से शुक्रवार को मानव-वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि नियमावली में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी गई। जंगली जानवरों के हमले में मृत्यु पर अब स्वजन को छह लाख रुपये की मुआवजा राशि दी जाएगी। इसी प्रकार घायल होने समेत क्षति के अन्य मामलों में भी राशि बढ़ाई गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल में हुई समीक्षा बैठक में वन्यजीवों से होने वाली क्षति के मामलों में दी जाने वाली मुआवजा राशि में वृद्धि से संबंधित अधिसूचना शीघ्र जारी करने के निर्देश दिए थे।इसी क्रम में शुक्रवार को जारी अधिसूचना के अनुसार घटना घटित होने के 15 दिन के भीतर मुआवजा राशि उपलब्ध कराई जाएगी। मृत्यु के मामलों में स्वजन को अभी तक आपदा मोचन निधि से चार लाख रुपये की राशि दी जाती थी, जो अब छह लाख की गई है। इसमें दो लाख रुपये मानव वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि से उपलब्ध कराए जाएंगे। यह भी कहा गया है कि यदि केंद्र सरकार मुआवजा राशि में वृद्धि करती है तो भी इसमें दो लाख की अतिरिक्त राशि इसी निधि से दी जाएगी। क्षति के अन्य मामलों में भी ऐसा ही किया जाएगा।
बाघ, गुलदार, हिम तेंदुआ, जंगली हाथी, तीनों प्रकार के भालू, लकड़बग्घा, जंगली सूअर, मगरमच्छ, घडिय़ाल, सांप, मधुमक्खी, ततैया, लंगूर व बंदर।
अधिसूचना के अनुसार जंगली हाथियों व भालू द्वारा भवनों को क्षति पहुंचाने पर भी मुआवजा राशि दी जाएगी। पहले इसका प्रविधान नहीं था।
आयुष्मान में उपचार पर नहीं मिलेगा लाभ।
वन्यजीवों के हमले में घायल व्यक्तियों का आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार होने पर वे मुआवजा राशि के लिए पात्र नहीं होंगे। अधिसूचना में यह प्रविधान किया गया है।