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पूर्ण रूप से इथेनॉल (Ethanol) ईंधन पर चलेंगी गाड़िया-गडकरी
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने ईंधन पर चलने वाली गाड़ियों को लेकर एक कार लांच करते हुई बड़ा ऐलान किया है।
गडकरी ने कहा, हम नए वाहन ला रहे हैं, जो पूरी तरह से एथेनॉल पर चलेंगे। बजाज, टीवीएस और हीरो स्कूटर 100 प्रतिशत एथेनॉल पर चलेंगे।
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने आज पूरी तरह से इथेनॉल से चलने वाली टोयोटा इनोवा हाइक्रॉस कार लॉन्च की है. इस कार को पूरी तरह से टोयोटा किर्लोस्कर मोटर द्वारा भारत में ही बनाया गया है. यह दुनिया की पहली इलेक्ट्रीफाइड फ्लेक्स फ्यूल कार का प्रोटोटाइप है.
उन्होंने आगे कहा, अगर आप एथेनॉल की तुलना पेट्रोल से करेंगे, तो यह 15 रुपये प्रति लीटर होगा क्योंकि एथेनॉल की दर 60 रुपये है, जबकि पेट्रोल की दर 120 रुपये प्रति लीटर है। साथ ही यह 40 प्रतिशत बिजली पैदा करेगा, जिससे ईंधन का औसत दर 15 रुपये प्रति लीटर होगा।
एथनॉल है क्या?
यह जल रहित एथिल अल्कोहल है, जिसे गन्ना, मक्का, गेहूं आदि से प्राप्त किया जाता है। इसमें स्टार्च की उच्च मात्रा होती है। यह एक स्पष्ट रंगहीन तरल के रूप में प्रकट होता है, जिसमें एक विशिष्ट विषैली गंध और तीखा स्वाद होता है। देश में एथनॉल का उत्पादनमुख्य रूप से किण्वन प्रक्रिया द्वारा गन्ने के शीरे से किया जाता है।
क्या है खासियत?
एथनॉल किसान के खेतों से आता है और पेट्रोल- डीजल के मुकाबले. प्रदूषण भी कम करता है। आने 2 वाले समय में इसके इस्तेमाल से देश. में पेट्रोल की कीमत 15 रुपये प्रति लीटर पर आने *की उम्मीद है। इसे पेट्रोल- डीजल के मुकाबले स्वच्छ और सस्ता ईंधन माना जाता है।
सबसे पहले खोज किसने की?
एथनॉल पहली बार 1796 में जोहान टोबियास लोविट्ज द्वारा चारकोल के माध्यम से आसुत एथनॉल को फिल्टर करके प्राप्त किया गया था। इसका पहला उपयोग 1826 में एक इंजन को शक्ति देने के लिए किया गया था।
कैसे होता है तैयार?
एथनॉल मुख्य रूप से गन्ने के रस, मक्का, आलू, कसावा और सड़ी सब्जियों के किण्वन से तैयार किया जाता है। स्टार्च और शुगर के किण्वन से बने एथनॉल को पेट्रोल में मिलाकर जैव ईंधन या फ्लेक्स ईंधन की तरह
सर्वाधिक उत्पादन कहां?
दुनिया भर में एथनॉल उत्पादन में सबसे बड़ी हिस्सेदारी अमेरिका की है। ब्राजील दूसरा सबसे 15 बड़ा उत्पादक है, जो दुनिया भर में उत्पादित एथनॉल में 26 फीसदी हिस्सेदारी रखता है। अमेरिका, ब्राजील और यूरोपीय यूनियन के बाद भारत एथनॉल का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है।
क्या हैं इसके फायदे?
एथनॉल की कीमत 16 पेट्रोलियम पदार्थों से कम होती है। एथनॉल पर पेट्रोल की तुलना में कम टैक्स लगाया जाता है। जैव ईंधन के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड और मोनोऑक्साइड जैसी गैसों का उत्सर्जन कम होता है। इसका इस्तेमाल बढ़ने से प्रदूषण कम होने की उम्मीद है। क्या इसके नुकसान भी हैं? ऐसा माना जाता है कि एथनॉल में पेट्रोल-डीजल के मुकाबले कम ऊर्जा मिलती है। यह भी 7 कहा जाता है कि यह दोपहिया वाहनों के लिए उतना फायदेमंद नहीं है। कुछ भी हो,पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से निपटने का फिलहाल यही विकल्प दिखता है।
कब मिलेगा ई-20 ईंधन?
देश में अगले दो साल में पेट्रोल पंपों पर 20 फीसदी एथनॉल मिश्रित ईंधन (ई-20) मिलने लगेगा। 8 पहला ई-20 स्टेशन इस • साल आठ फरवरी को शुरू हो गया है। 20 फीसदी एथनॉल मिश्रण वाले ईंधन की खुदरा बिक्री के लिए 2025 तक पूरे देश में विशेष