उत्तराखण्ड
पहली बार कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान बर्फरहित दिखा कैलाश पर्वत का दक्षिणी हिस्सा
बीडी कसनियाल
पिथौरागढ़– कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले दल ने इस वर्ष एक ऐतिहासिक दृश्य देखा — कैलाश पर्वत का दक्षिणी हिस्सा पूरी तरह से बर्फ से मुक्त नजर आया। यह दल लिपुलेख दर्रे के रास्ते तिब्बत गया था और मात्र एक दिन में धारचूला वापस लौट आया, जो अपने आप में एक महत्वपूर्ण घटना है।
दल के समन्वय अधिकारी संजय गुंज्याल ने बताया, “यह मेरा दूसरा मौका था कैलाश जाने का। 2016 में जब पहली बार गया था तो दक्षिणी हिस्से में काफी बर्फ थी, लेकिन इस बार वह लगभग पूरी तरह से बर्फ से रहित था।” उन्होंने बताया कि जून-जुलाई में हिमालयी चोटियों पर सामान्यतः कम बर्फ होती है, लेकिन इस बार यह बदलाव चौंकाने वाला है।
राजस्थान और गुजरात से आए पहले दल के तीर्थयात्रियों राजेश नागपाल और सौम्या पटेल ने भी पुष्टि की कि दक्षिणी भाग में बर्फ नहीं थी और अन्य भागों में आंशिक रूप से ही बर्फ दिखी। सौम्या ने कहा, “कैलाश और मानसरोवर झील के दर्शन कर ऐसा लगा जैसे स्वर्ग में आ गए हों।”
संजय गुंज्याल ने बताया कि केवल कैलाश ही नहीं, बल्कि सदैव बर्फ से ढकी रहने वाली चोटियां जैसे ओम पर्वत और आदि कैलाश पर भी या तो बहुत कम बर्फ थी या बिल्कुल नहीं। उन्होंने इसे जलवायु परिवर्तन का चिंताजनक संकेत बताया। उन्होंने बताया कि अगस्त 2024 में भी ओम पर्वत पर कोई बर्फ नहीं थी।
धारचूला निवासी राकेश तिवारी ने कहा कि नेपाल से आए कई श्रद्धालुओं ने 2022 और 2023 में भी कैलाश क्षेत्र में बर्फ की कमी को लेकर आश्चर्य जताया था। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, 6638 मीटर ऊंचे कैलाश पर्वत पर वर्ष भर बर्फ की मोटी चादर रहती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इसमें भारी गिरावट देखी जा रही है, जो वैश्विक तापवृद्धि का संकेत है। Courtesy: The Northern Gazette
