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…कैसे पास होगा एक देश-एक चुनाव बिल, क्या होगा फायदा ? केंद्र का बड़ा कदम, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई समिति

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…कैसे पास होगा एक देश-एक चुनाव बिल, क्या होगा फायदा ? केंद्र का बड़ा कदम, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई समिति

मोदी सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है. ये जानकारी संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दी. सवाल है कि विशेष स क्यों? मोदी सरकार क्या कोई बड़ा कदम उठाने वाली है?

इस बीच देश में एक ही चुनाव कराने को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्र ने ‘एक देश एक चुनाव’ को लेकर एक समिति का गठन किया है. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। यह समिति इस मुद्दे पर विचार करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद ही यह तय होगा कि आने वाले समय में क्या सरकार लोकसभा चुनाव के साथ ही सभी राज्यों में विधानसभा के चुनाव भी कराएगी या नहीं।

इसे लेकर अटकलें लगने लगीं और तीन बातें सामने आईं. स्पेशल सेशन में मोदी सरकार एक देश एक चुनाव का बिल ला सकती है.

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सूत्रों के मुताबिक संसद भवन की नई बिल्डिंग में होने वाले विशेष सत्र में वन नेशनल वन इलेक्शन सबसे अहम मुद्दा हो सकता है. वन नेशन-वन इलेक्शन या एक देश-एक चुनाव का मतलब पूरे देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव से है. आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे. 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले भंग कर दी गईं. 1970 में लोकसभा भी समय से पहले भंग कर दी गई. इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई.

सवाल है कि क्या वन नेशन वन इलेक्शन जैसा देश को प्रभावित करने वाला फैसला इतनी जल्दी लिया जा सकता है?

संविधान विशेषज्ञों के मुताबिक, वन नेशन वन इलेक्शन के लिए संविधान संशोधन करना होगा। संविधान के अनुच्छेद 83, 85, 172, 174 और 356 में संशोधन होगा. लेकिन इस संशोधन को लोकसभा और राज्यसभा में दो- तिहाई बहुमत और पचास प्रतिशत राज्यों में सामान्य बहुमत से पारित कराना होगा. जन प्रतिनिधि कानून 1951 में संशोधन करके धारा 2 में एक साथ चुनाव की परिभाषा जोड़नी पड़ेगी।

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इन संवैधानिक मुश्किलों के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी कई मंचों पर वन नेशन, वन इलेक्शन की पैरवी कर चुके हैं. पीएम मोदी ने कहा था कि वन नेशन वन इलेक्शन सिर्फ एक चर्चा का विषय नहीं है. बल्कि ये भारत की जरुरत है. हर कुछ महीने में भारत में कहीं ना कहीं बड़े चुनाव हो रहे होते हैं। इससे विकास के कार्यों पर जो प्रभाव पड़ता है। उसे आप सब भली भांति जानते हैं. ऐसे में वन नेशन वन इलेक्शन पर गहन अध्ययन और मंथन आवश्यक है।

कहां किसकी सरकार है….

  • बीजेपी गठबंधन की सरकार 15 राज्यों में है, जबकि कांग्रेस गठबंधन की सरकार 7 राज्यों में है. बाकी के 7 राज्यों गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी सरकार है.
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नियम के मुताबिक बिल पारित कराने के लिए पचास प्रतिशत राज्यों की सहमति चाहिए तो उस हिसाब से केंद्र सरकार के लिए ये बिल पास कराना बहुत मुश्किलों भरा नहीं होगा।

अगर वन नेशन वन इलेक्शन का बिल संसद से पास हो जाता है तो देश को इसका क्या फायदा होगा. 2018 के लॉ कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक..

लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराने से पैसों प्रशासनिक व्यवस्था और सुरक्षा बलों पर बोझ कम

सरकारी नीतियों को समय पर लागू किया जा सकेगा

चुनाव के लिए बार-बार आचार संहिता लागू नहीं होने से विकास के काम प्रभावित नहीं होंगे

प्रशासनिक मशीनरी चुनाव से ज्यादा विकास के कामों पर ध्यान दे सकेगी

इसके अलावा मतदाता को सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को राज्य और केंद्र दोनों स्तर पर परखने का मौका मिलेगा

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